Joint Replacement: अक्सर आम लोगों के मन में यह धारणा है कि घुटने और कूल्हे बदलवाने पर जीवनभर हम स्वस्थ रह सकते हैं, पर यह सही नहीं है। डाक्टरों का कहना है कि आप निश्चिंत नहीं हो सकते हैं कि हमने अपना घुटनों का इलाज हमेशा के लिए कर दिया है। इस इलाज की मियाद 15 से 25 वर्ष तक की ही है। रिप्लेसमेंट के बाद भी समय-समय पर चेकअप करवाने की जरूरत होती है।
यदि एक बार घुटनों और कूल्हों का उपचार हुआ और दुबारा करवाने की जरूरत पड़ी तो उसके लिए कुशल डाक्टर की जरूरत होती है, क्योंकि पहले वाले आपरेशन से हड्डियां और कमजोर हो जाती हैं। हड्डियों की समय-समय पर देखभाल करने से ही आदमी पूरी तरह से अपाहिज होने से बचता है।
आजकल हड्डी विशेषज्ञों का सम्मेलन हो रहा है, उसमें 800 से अधिक डाक्टर भाग ले रहे हैं। वे विभिन्न हड्डियों में होने वाली खराबी पर समाधान ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। हड्डियों को बदलनेवाली चिकित्सा की शुरुआत सन् 2000 के आस-पास हुई थी। अब उस रिप्लेसमेंट की मियाद पूरी हो रही हैं। इस कारण सारे रोगी एक साथ बढ़े हैं। रिप्लेसमेंट की इन्हें अब जरूरत है। लेकिन उन कुशल डाक्टरों की जरूरत है, जो इस चिकित्सा को अंजाम दे सकते हैं। दुबारा हड्डियों को जोड़नेवाले डाक्टर अभी कम ही हैं।
हड्डियों को यदि मजबूत रखना है, तो जन्म के समय से ही, यानी शुरुआती दौर से हड्डियों पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही अपने खानपान में बदलाव की भी जरूरत है। पुष्ट हड्डियों के लिए विटामिन डी को लेना जरूरी है। हड्डियों के रिप्लेसमेंट के लिए आवश्यक है कुशल डाक्टर।
लेखक: भगवती प्रसाद डोभाल
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