Khandoba mandir: महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित जेजुरी का प्रसिद्ध खंडोबा मंदिर अपनी एक अनोखी परंपरा के लिए देशभर में जाना जाता है। यहां हर साल दिसंबर महीने में भक्त हल्दी की होली खेलते हैं। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर पीली हल्दी से रंग जाता है और श्रद्धालु भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप की आराधना करते हैं। मान्यता है कि जब तक भक्त राक्षस मणि के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक भगवान मार्तंड भैरव के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। इसके पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
पौराणिक कथा क्या कहती है?
कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा पृथ्वी की रचना कर रहे थे, उसी दौरान उनके पसीने से मल्ल और मणि नाम के दो राक्षसों का जन्म हुआ। दोनों ने मिलकर धरती पर भीषण आतंक मचा दिया। निर्दोष लोगों की हत्या से परेशान होकर भक्तों ने भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना की। भक्तों की पुकार सुनकर भगवान शिव खंडोबा यानी मार्तंड भैरव के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने अपनी तलवार से मल्ल राक्षस का वध कर दिया। भाई की मृत्यु देखकर राक्षस मणि ने भगवान शिव के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे क्षमा किया और मंदिर में स्थान प्रदान किया।
Khandoba mandir: योद्धा अवतार में भगवान शिव
खंडोबा मंदिर में भगवान शिव के योद्धा स्वरूप मार्तंड भैरव की पूजा की जाती है। इस रूप में भगवान शिव घोड़े पर सवार होते हैं और उनके हाथ में विशाल तलवार होती है। यह उनका उग्र रूप माना जाता है, जो बुरी शक्तियों का नाश करता है।
मंदिर के मुख्य द्वार पर आज भी राक्षस मणि की प्रतिमा स्थापित है। यहां हर साल 42 किलो वजनी तलवार उठाने की प्रतियोगिता भी होती है, जिसे भगवान की उसी तलवार का प्रतीक माना जाता है, जिससे उन्होंने राक्षसों का वध किया था।
Khandoba mandir: क्यों खेली जाती है हल्दी की होली?
शत्रुओं पर विजय के प्रतीक रूप में यहां हल्दी की होली खेली जाती है। इस दिन भगवान शिव को हल्दी अर्पित की जाती है और भक्त एक-दूसरे को हल्दी लगाकर पूजा करते हैं।
विवाह और संतान सुख के लिए विशेष मान्यता
ऐसी धारणा है कि जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो या जिन्हें संतान सुख नहीं मिल रहा हो, उनकी मनोकामनाएं इस मंदिर में जरूर पूरी होती हैं। यही वजह है कि देशभर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
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