बांकनेर गौमत स्थित हनुमान मंदिर प्रांगण में आज एक विशाल किसान पंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों किसानों ने भाग लिया। इस पंचायत का उद्देश्य किसानों की समस्याओं पर चर्चा करना और आगामी आंदोलन की रणनीति बनाना था। इस आयोजन में कई प्रमुख किसान नेता और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिन्होंने किसानों की मांगों को जायज़ ठहराते हुए सरकार पर दबाव बनाने की बात कही।
प्रमुख नेता और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति
किसान पंचायत में भारतीय किसान यूनियन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल तालन जी ने विशेष रूप से भाग लिया। उनके साथ खैर के पूर्व विधायक भगवती प्रसाद और अन्य गणमान्य नेता भी शामिल रहे। इन सभी ने किसानों की समस्याओं को जायज़ बताते हुए सरकार से उनकी मांगों को जल्द पूरा करने का आग्रह किया।
किसान नेता अनिल तालन ने अपने भाषण में कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं, लेकिन उनकी समस्याओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि किसानों की जायज़ मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और अधिक तेज़ किया जाएगा।

किसानों की मांगें और रणनीति
इस पंचायत में किसानों ने अपनी प्रमुख समस्याओं पर चर्चा की, जिनमें शामिल हैं:
- बिजली आपूर्ति की समस्या का समाधान
- फसल की उचित कीमत तय करना
- कृषि कानूनों का पूर्ण रूप से समाप्ति
- स्थानीय समस्याओं का समाधान
किसानों ने साफ किया कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो आंदोलन और उग्र होगा। एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत किसानों ने उसरह और खैर स्थित बिजली घर से आगे की बिजली आपूर्ति बंद करने का निर्णय लिया। पंचायत में यह सहमति बनी कि अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो बिजली आपूर्ति को बाधित किया जाएगा।
संघर्ष का संकल्प
पूर्व विधायक भगवती प्रसाद ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे इस आंदोलन में मजबूती से उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांगों को अनदेखा किया गया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।
किसानों ने भी संकल्प लिया कि वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। पंचायत में उपस्थित किसानों ने एक स्वर में नारे लगाकर अपनी एकता और संकल्प को दर्शाया।
आगे की रणनीति
किसान नेताओं ने पंचायत के अंत में घोषणा की कि आने वाले दिनों में वे अपनी रणनीति को और मजबूत करेंगे। यदि सरकार किसानों की मांगों को अनदेखा करती रही, तो बिजली आपूर्ति को रोकने सहित अन्य बड़े कदम उठाए जाएंगे।
इस पंचायत ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसान अपनी मांगों को लेकर संगठित हैं और किसी भी कीमत पर अपने हक के लिए संघर्ष करेंगे। सरकार के लिए यह एक चेतावनी है कि यदि उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो आंदोलन और व्यापक हो सकता है।