Kurukshetra: गुरुकुल ज्योतिसर का वार्षिक उत्सव “ज्योतिर्गमय” भारतीय संस्कृति, वैदिक परंपरा और आधुनिक चेतना के अद्भुत संगम का प्रतीक रहा। इस अवसर पर गुरुकुल परिसर उत्साह, उल्लास और अनुशासन से गूंज उठा। गुरुकुल के नन्हे बालकों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सभी का मन मोह लिया। उनके द्वारा प्रस्तुत शारीरिक व्यायाम, योगासन, सांस्कृतिक नृत्य, वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक कलाओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
राज्यपाल ने दीप प्रज्वलन कर दी शुभकामनाएं
Kurukshetra: कार्यक्रम का शुभारंभ गुजरात और महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। उन्होंने “ज्योतिर्गमय” के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि गुरुकुल शिक्षा प्रणाली भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो बच्चों में ज्ञान के साथ-साथ जीवन मूल्यों का भी संचार करती है। आचार्य देवव्रत जी ने बालकों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ऐसे संस्कारित विद्यार्थी ही राष्ट्र का सच्चा गौरव हैं।
अनुशासन और संस्कारों की अद्भुत झलक
Kurukshetra: दीप प्रज्वलन के बाद विद्यार्थियों ने अनुशासन, परिश्रम और आत्मविश्वास का परिचय देते हुए विविध प्रस्तुतियां दीं। उनकी हर गतिविधि में भारतीय जीवन मूल्यों की झलक स्पष्ट दिखाई दी। नन्हे बालकों की सादगी और ऊर्जा ने यह सिद्ध कर दिया कि वे केवल भविष्य के नागरिक नहीं, बल्कि उज्ज्वल राष्ट्र के निर्माता हैं।
“ज्योतिर्गमय” का संदेश अंधकार से प्रकाश की ओर
Kurukshetra: “ज्योतिर्गमय” का अर्थ ही है अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना। यह उत्सव इस विचार का सशक्त प्रतीक है कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का पथ भी है। गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को आधुनिक ज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कारों की जड़ों से जोड़े रखती है।

अतिथियों की प्रेरणादायी उपस्थिति
Kurukshetra: कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने गुरुकुल के विद्यार्थियों और आचार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और सांस्कृतिक गौरव की भावना जागृत करते हैं। यह न केवल व्यक्तिगत विकास का मंच है, बल्कि समाज को अपनी परंपरा से जोड़ने का माध्यम भी है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत
Kurukshetra: “ज्योतिर्गमय” जैसा आयोजन भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का सजीव उदाहरण है। यह नई पीढ़ी को यह संदेश देता है कि सच्चा ज्ञान वही है जो चरित्र, सेवा और संस्कारों से ओतप्रोत हो। गुरुकुल ज्योतिसर अपने इन आदर्शों के माध्यम से उस भारत का निर्माण कर रहा है जो प्रकाश, ज्ञान और नैतिकता से परिपूर्ण होगा।