हिंदू संस्कृति में नव वर्ष का अत्यधिक महत्व है, जिसे चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय कैलेंडर में विक्रम संवत का प्रारंभ है और इसे नववर्ष का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। हिंदू नव वर्ष न केवल एक नए साल का आरंभ है, बल्कि यह हमारे प्राचीन गौरव, सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों का प्रतीक भी है।
ग्रेटर नोएडा सेक्टर 3 में संघ का भव्य आयोजन
हिंदू नव वर्ष के इस पावन अवसर पर ग्रेटर नोएडा सेक्टर 3 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवकों ने एक भव्य पद संचलन का आयोजन किया। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में एक अद्वितीय अवसर बना। इस दिन संघ के स्वयंसेवक श्रद्धा, भक्ति और राष्ट्रप्रेम के साथ इस आयोजन में सम्मिलित हुए, जिसने न केवल कार्यक्रम में भाग लेने वालों, बल्कि क्षेत्र के निवासियों को भी प्रेरित किया। यह समारोह भारतीय सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता का एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा था।
कार्यक्रम की शुरुआत और महिपाल जी का बौद्धिक
कार्यक्रम का शुभारंभ ध्वज प्रणाम और प्रार्थना से हुआ। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने भगवा ध्वज को श्रद्धा पूर्वक प्रणाम किया और फिर सभी ने मिलकर संघ की परंपराओं के अनुसार प्रार्थना की। इसके बाद महिपाल जी ने इस पावन अवसर पर उपस्थित सभी स्वयंसेवकों और नागरिकों को संबोधित किया। उन्होंने हिंदू नव वर्ष की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और बताया कि यह नववर्ष केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा का उत्सव है। उन्होंने बताया कि हिंदू नववर्ष का त्यौहार भारतीय ज्योतिष के अनुसार, पृथ्वी की धुरी पर सूर्य के एक चक्र के पूरे होने और दूसरे चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। महिपाल जी ने यह भी बताया कि यह दिन सम्राट विक्रमादित्य की विजय का प्रतीक है, जिन्होंने विक्रम संवत की स्थापना की थी और भारत में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया था।
महिपाल जी ने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी की प्रेरणा और उनके द्वारा बताए गए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के विचारों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि समाज को अपनी पुरानी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय धरोहरों को सम्मान देना चाहिए और उन्हें संरक्षित रखना चाहिए।

पद संचलन: अनुशासन और एकता का प्रतीक
महिपाल जी के बौद्धिक के उपरांत संघ के स्वयंसेवकों ने पूर्ण अनुशासन और उत्साह के साथ पद संचलन किया। यह संचलन संघ के अनुशासन और संगठन की शक्ति का प्रतीक था। स्वयंसेवक एकत्रित होकर भगवा ध्वज के नीचे कदम से कदम मिलाकर चले, और उनके चेहरों पर राष्ट्रप्रेम और दृढ़ संकल्प की भावना स्पष्ट थी। मार्ग में स्थानीय नागरिकों ने पुष्प वर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। जिधर भी पद संचलन का मार्ग गुजरता, वहां लोग पुष्प वर्षा करके स्वयंसेवकों का स्वागत करते गए। यह दृश्य न केवल भव्य था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के सम्मान और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में उजागर हुआ।
पद संचलन के दौरान देशभक्ति के गीत गूंज रहे थे, और वातावरण में आत्मगौरव की भावना छाई हुई थी। इस समय स्वयंसेवकों ने हेडगेवार जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया। यह दिन संघ के अनुशासन और एकता का प्रतीक था और यह दर्शाता था कि कैसे भारतीय संस्कृति के मूल्यों को मजबूत किया जा सकता है।
महिपाल जी की अपील: सेवा निर्वत होने वालों से संदेश
महिपाल जी ने अपने संबोधन में सेवा निर्वत होने वालों से एक महत्वपूर्ण अपील की। उन्होंने कहा:
“आपको जीवन के कुछ समय का हिस्सा समाज और परिवार के लिए देना चाहिए। पहले के समय में जब व्यक्ति वानप्रस्थ आश्रम में चला जाता था, तो उसने अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति पाई होती थी और इस समय को तप, साधना और समाज सेवा में लगाता था। लेकिन आजकल लोग परिवार में ही रहते हुए चिक चिक में जीवन काट रहे हैं, बिना किसी बड़े उद्देश्य के। हमें चाहिए कि हम एक बार फिर से वानप्रस्थ आश्रम के उस मार्ग को अपनाएं, जहाँ व्यक्ति अपने जीवन का सार समझे, आत्मनिर्भर बने और समाज के लिए सेवा कार्य करें। इस बदलते हुए समाज में हमें अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करना होगा। यह समाज की आवश्यकता है और साथ ही हमारा व्यक्तिगत दायित्व भी।“
महिपाल जी ने यह भी कहा कि समाज की प्रगति के लिए व्यक्तिगत प्रगति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, और यही सच्ची सेवा है।
प्रसाद वितरण
पद संचलन के बाद, कार्यक्रम में सम्मिलित सभी नागरिकों और स्वयंसेवकों के लिए प्रसाद वितरण किया गया। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य था, जिसमें संघ के स्वयंसेवकों ने सामूहिक रूप से सभी को प्रसाद प्रदान किया और सहयोग की भावना का संदेश दिया।
हिंदू नव वर्ष: क्यों अलग और विशेष है?
महिपाल जी के बौद्धिक में इस प्रश्न पर विशेष चर्चा की गई कि हिंदू नव वर्ष क्यों अलग और विशेष है। उन्होंने इसे प्रकृति के चक्र पर आधारित और भारतीय संस्कृति का उत्सव बताया।
- प्राकृतिक आधार: हिंदू नव वर्ष का समय बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जब प्रकृति नई ऊर्जा से भर जाती है। यह समय प्रकृति के नवचक्र की शुरुआत का है और इसे भारतीय परंपरा में बड़े श्रद्धा से मनाया जाता है।
- ऐतिहासिक महत्व: इस दिन सम्राट विक्रमादित्य की विजय का स्मरण किया जाता है, जिन्होंने विक्रम संवत की स्थापना की। विक्रम संवत ने भारतीय कैलेंडर को नया दिशा और आधार प्रदान किया।
- सांस्कृतिक उत्सव: हिंदू नव वर्ष पूरे भारत में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे कि गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र), उगाड़ी (कर्नाटक और आंध्र प्रदेश), और चैत्र नवरात्रि (उत्तर भारत)। इस दिन भारतीय संस्कृति, उत्सवों और परंपराओं का जश्न मनाया जाता है।
हेडगेवार जी और ध्वज को प्रणाम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी की याद में इस अवसर पर विशेष श्रद्धांजलि दी गई। संघ की परंपरा के अनुसार, हर कार्यक्रम में ध्वज प्रणाम और संस्थापक को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इस परंपरा का उद्देश्य संगठन की एकता और उसकी सांस्कृतिक धारा को मजबूत करना है।
समाज को संदेश: सांस्कृतिक विरासत को संजोएं
कार्यक्रम के अंत में महिपाल जी ने समाज से अपील की कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को पहचानें और उसे संजोएं। उन्होंने सभी से यह आह्वान किया:
- अपने घरों पर भगवा ध्वज फहराएं। • पंच दीपक प्रज्वलित कर उत्सव मनाएं। • पारिवारिक भोज में पारंपरिक व्यंजन शामिल करें। • मंदिरों में अखंड आरती का आयोजन करें।
ग्रेटर नोएडा सेक्टर 3 में आयोजित यह पद संचलन केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक था। इस आयोजन ने समाज को एकता, अनुशासन, राष्ट्रप्रेम और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने का संदेश दिया।
आइए हम सब मिलकर अपने सांस्कृतिक मूल्यों को आत्मसात करें और हर वर्ष हिंदू नव वर्ष को पूरे उल्लास और गर्व के साथ मनाएं।
विक्रम संवत 2082 की हार्दिक शुभकामनाएं!