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Dev Diwali Ki Katha: जानिए क्यों मनाई जाती है देवताओं की दीपावली

Dev Diwali Ki Katha: काशी के घाटों पर जलते दीपों का दृश्य, भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर वध की पौराणिक कथा

Dev Diwali Ki Katha: देव दीपावली का त्योहार देश में आज यानी 5 नवंबर को मनाया जा रहा है। खासकर उत्तर प्रदेश में यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गंगा नदी और काशी के अलग-अलग तटों पर आज के दिन मिट्टी के दीपक जलाकर अनगिनत मात्रा में दीपदान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन देवगण पृथ्वी पर आते है, जिस वजह से उनके स्वागत के लिए दीपों से धरती को जगमग किया जाता हैं।

आज के दिन शिव जी की पूजा व अभिषेक का भी विशेष महत्व है और शाम के वक्त शिव मंदिर में भी दीप जलने की परंपरा हैं। इसी के साथ देव दीपावली दूसरे मंदिरों अथवा चौराहे पर पीपल के पेड़ और तुलसी के पौधे के नीचे भी दीप जलाए जाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है।

Dev Diwali Ki Katha: काशी के घाटों पर जलते दीपों का दृश्य, भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर वध की पौराणिक कथा
Dev Diwali Ki Katha: काशी के घाटों पर जलते दीपों का दृश्य, भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर वध की पौराणिक कथा

 

देव दिवाली की पौराणिक कथा

Dev Diwali Ki Katha: इस दिन की पौराणिक कथा त्रिपुरासुर नामक असुर के वध से जुड़ी हुई है। त्रिपुरासुर तीन नगरों स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल पर स्वामी बनकर देवताओं को सताता था। त्रिपुरा के अत्याचारों से परेशान होकर देवता भगवान भोलेनाथ के पास पहुंचे और उससे मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। इसके पश्चात भगवान शिव ने अपने दिव्य पिनाक धनुष से त्रिपुरा को भस्म कर दिया।

मान्यता है कि त्रिपुरासुर का अंत कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के स्वागत के लिए देवताओं ने स्वर्ग से उतरकर काशी नगरी में गंगा घाट पर दीप जलाए थे। इसीलिए इस दिन को देव दीवाली कहा जाने लगा।

कार्तिक माह के पूर्ण चन्द्र दिवस को देव दीवाली मनाई जाती है, इस दिन को कार्तिक पूर्णिमा, पूनम, पौर्णमी अथवा पूरणमासी नामों से भी जाना जाता है। इस दिन देव दीवाली के साथ – साथ गुरुनानक जयंती भी मनाई जाती है।

पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Dev Diwali Ki Katha: कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग संध्याकाल में भगवान शिव और श्री हरि नारायण जी की विधि विधान से पूजन करते हैं और दिवाली की तरह ही अपने घरों को दीपक की रोशनी से रोशन करते हैं। इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 6:00 बजे से लेकर 8:00 बजे तक बताया जा रहा है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन लोग संध्याकाल में भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करने के बाद घर के अंदर और बाहर दीपक जलाते हैं। इस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 से 8 बजे तक माना गया है।

कार्तिक पूर्णिमा मंत्र (Kartik Purnima Mantra)
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमः शिवाय” मंत्रों का जाप करें

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