हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल आने वाली मार्गशीर्ष अमावस्या, जिसे अगहन अमावस्या भी कहा जाता है, धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन स्नान, दान और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन किया गया हर पुण्यकर्म कई गुना बढ़कर फल देता है।
यह दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए बेहद प्रभावशाली माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, इस समय कुंभ, मीन और मेष राशि वाले लोग साढ़ेसाती झेल रहे हैं, जबकि सिंह और धनु राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है। ऐसे में यह अमावस्या उन लोगों के लिए खास मौका है, जो शनि की कृपा पाना चाहते हैं और उनके बुरे असर से राहत चाहते हैं।
कैसे पाएं शनि देव की कृपा
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और शनि स्तोत्र या शनि चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से शनि की दशा से आने वाली परेशानियां धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। यह उपाय सरल है, लेकिन बहुत असरदार माना गया है।
इसके बाद पीपल के पेड़ के नीचे जाएं, वहां जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। कहा जाता है कि पीपल में शनि देव का वास होता है, इसलिए यह उपाय करने से ग्रहों की नकारात्मकता घटती है और मानसिक शांति मिलती है।
करें मंत्र जाप
इस दिन ऊं शं ह्रीं शं शनैश्चराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करने की भी परंपरा है। यह मंत्र शनि देव की कृपा पाने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। जो लोग शनि से जुड़ी कठिनाइयों जैसे नौकरी में रुकावट, धन की कमी या मानसिक तनाव झेल रहे हैं, उनके लिए यह जाप बहुत उपयोगी होता है।
शमी के पौधे का महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन शमी का पौधा लगाना बेहद शुभ माना गया है। कहा जाता है कि शमी भगवान शनि की प्रिय वनस्पति है। अगर आप किसी गमले में शमी का पौधा लगाकर उसके चारों ओर काले तिल डालें और वहीं सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि मंत्र का 11 बार जप करें, तो शनि के बुरे प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं।
शिव और हनुमान की पूजा
शनि दोष को शांत करने में भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा भी बहुत असरदार मानी जाती है। इस दिन शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध अर्पित करें और हनुमान मंदिर जाकर सिंदूर चढ़ाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और मन को सुकून मिलता है।
Written By Sanjucta
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