MEHUL CHAUKSI NEWS: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले से जुड़े कारोबारी मेहुल चोकसी पर शिकंजा और कस गया है। मुंबई के पीएमएलए कोर्ट ने मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड से जुड़ी संपत्तियों की नीलामी की अनुमति दे दी है। ये वही कंपनी है जो 23,000 करोड़ रुपये के पीएनबी फ्रॉड केस के केंद्र में रही थी। कोर्ट ने करीब 46 करोड़ रुपये की संपत्तियों और चांदी की ईंटों की नीलामी को मंजूरी दी है।
किन-किन संपत्तियों की होगी नीलामी
MEHUL CHAUKSI NEWS: इन सूचीबद्ध संपत्तियों में शामिल हैं : बोरीवली में चार लग्जरी आवासीय फ्लैट, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) स्थित भारत डायमंड बोर्स में दफ्तर, गोरेगांव पूर्व की विरवानी इंडस्ट्रियल एस्टेट में चार औद्योगिक इकाइयां, जयपुर SEZ में स्थित चांदी की ईंटें, अर्ध-कीमती पत्थर और ज्वेलरी बनाने की मशीनें, इन सभी संपत्तियों का मूल्यांकन और नीलामी गीतांजलि जेम्स के परिसमापक शांतनु रे द्वारा की जाएगी।
नीलामी से मिली रकम रहेगी सुरक्षित
MEHUL CHAUKSI NEWS: कोर्ट ने आदेश दिया है कि इन संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त राशि को अदालत के नाम से ICICI बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के रूप में रखा जाए।
यह पैसा तब तक न्यायिक हिरासत में रहेगा जब तक मनी लॉन्ड्रिंग केस की सुनवाई पूरी नहीं होती। 4 नवंबर को दिए आदेश में विशेष न्यायाधीश एवी गुजराती ने एनसीएलटी द्वारा नियुक्त परिसमापक शांतनु रे की अर्जी मंजूर की। कोर्ट ने साफ कहा कि सिर्फ असुरक्षित संपत्तियों (Unsecured Assets) की ही नीलामी होगी , यानी जिन पर किसी सुरक्षित लेनदार (Secured Creditor) का दावा नहीं है।
ED की प्रतिक्रिया और कोर्ट का स्पष्ट निर्देश
MEHUL CHAUKSI NEWS: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत को बताया कि उसे इस नीलामी प्रक्रिया पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ED की कुर्की बरकरार रहेगी और इन संपत्तियों की स्वामित्व या जब्ती का अंतिम फैसला मुकदमे के बाद ही होगा। आदेश में कहा गया है: “खर्चों में कटौती के बाद बिक्री से प्राप्त राशि को इस न्यायालय के नाम आईसीआईसीआई बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा किया जाएगा।”
क्या है मामला
MEHUL CHAUKSI NEWS: मेहुल चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) घोषित किया जा चुका है। उनकी कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में है।
यह फैसला न केवल परिसमापन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता खोलता है, बल्कि गीतांजलि ग्रुप की बंद पड़ी संपत्तियों के मुद्रीकरण को भी संभव बनाता है ,ताकि केस के अंतिम निर्णय तक आय को सुरक्षित रखा जा सके।
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