Rajnath Singh Speech: भारत अब केवल नौसैनिक जहाजों का निर्माता नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ समुद्री औद्योगिक महाशक्ति बनकर सामने आ रहा है। मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित ‘समुद्र उत्कर्ष’ कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की बढ़ती समुद्री आत्मनिर्भरता को नए दृष्टिकोण से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत की शिपबिल्डिंग क्षमता अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
स्वदेशीकरण से होगा समुद्री औद्योगिक आधार
कार्यक्रम में बताया गया कि भारतीय नौसेना की 262 से अधिक डिजाइन एवं विकास परियोजनाएं उन्नत चरणों पर हैं, और इनका बड़ा हिस्सा पूरी तरह स्वदेशी है। कई भारतीय शिपयार्ड अगले कुछ वर्षों में 100 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से जहाज बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने की कगार पर हैं। इसका अर्थ यह है कि भारत अब बाहरी आपूर्ति-श्रृंखला पर पहले की तरह निर्भर नहीं है, और किसी भी वैश्विक व्यवधान का प्रभाव भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण पर न्यूनतम रहेगा।
Rajnath Singh Speech: तकनीक और दक्षता का संगम
देश के पूर्व और पश्चिमी समुद्री तटों पर स्थित शिपयार्ड अब उन्नत तकनीकों से लैस हो चुके हैं, जिनमें डिजिटल शिपयार्ड सिस्टम, ऑटोमेटेड डिजाइन टूल्स, मॉडल टेस्टिंग सुविधाएं और आधुनिक मैटेरियल-हैंडलिंग सिस्टम शामिल हैं। यह बदलाव केवल नौसेना के आधुनिकीकरण को नहीं, बल्कि समुद्री अर्थव्यवस्था को भी नई गति प्रदान कर रहा है।
Rajnath Singh Speech: समुद्री विरासत से आधुनिक क्षमता
रक्षा मंत्री ने लोथल जैसे प्राचीन बंदरगाहों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की समुद्री यात्रा हजारों वर्षों पुरानी है। आज वही विरासत आधुनिक शिपयार्डों मुंबई, गोवा, विशाखापत्तनम, कोलकाता और कोचीन में नई तकनीक और अनुसंधान के साथ आगे बढ़ रही है। भारत का 95 प्रतिशत व्यापार समुद्र रास्तों से होता है, और ऐसे में एक मजबूत समुद्री उद्योग देश को वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखला में निर्णायक शक्ति बनाता है।
इंटीग्रेटेड शिपबिल्डिंग मॉडल: भारत की वास्तविक ताकत
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ‘एंड-टू-एंड’ स्वदेशी शिपबिल्डिंग इकोसिस्टम विकसित कर चुका है। डिजाइन से लेकर लाइफ-साइकिल सपोर्ट तक सभी चरण देश के भीतर पूरे किए जा रहे हैं। हजारों एमएसएमई के सहयोग से बनी मजबूत इंडस्ट्रियल सप्लाई चेन भारत को न केवल सैन्य जहाज निर्माण में सशक्त करती है, बल्कि वैश्विक साझेदारी के लिए भी विश्वसनीय बनाती है। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ जहाज नहीं, बल्कि विश्वास और दीर्घकालिक साझेदारी का निर्माण कर रहा है यही भारत की समुद्री शक्ति का वास्तविक आधार है।







