Bus Fire: कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिनसे सबक लेकर सरकार को ये सुनुच्चित करना चाहिए की अब ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी। लेकिन सरकार के सामने आम जनता की मौत की कोई कीमत नहीं। हाल ही में हमने देखा कि देश में एक के बाद एक हो रहे हादसे सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े करते हैं। कहीं पुल गिरने से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, तो कहीं ट्रेन दुर्घटनाएं मासूम जिंदगियों को लील रही हैं। इन हादसों के बावजूद सरकारी तंत्र की निष्क्रियता और लापरवाही आम जनता को खासी नाराजगी की ओर धकेल रही है। हाल ही की घटनाओं में राजस्थान के जैसलमेर में हुए बस अग्निकांड में करीब 22 लोगों की मौत हुई है। बस में आग क्यों लगी अभी ये साफ भी नहीं हो पाया था कि इसी कड़ी में ग्रेटर नोएडा के दनकौर कोतवाली क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेसवे पर गुरुवार रात एक चलती बस में आग लग गई।
बस में 50 यात्री थे सवार
Bus Fire: जानकारी के अनुसार, पंजाब के लुधियाना से आगरा जा रही इस बस में लगभग 50 यात्री सवार थे। गनीमत रही की समय रहते सभी यात्रियों ने बस से बाहर निकलकर अपनी जान बचा ली। आग लगने का कारण तो अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन बताया जा रहा है कि दिवाली की आतिशबाजी के दौरान कोई पटाखा चलती बस की छत पर गिर गया जिससे छत पर रखे सामान में आग लग गई। आग लगता देख ड्राइवर ने तुरंत बस को एक्सप्रेसवे पर रोका और सभी यात्री बस से बाहर निकल गए। बाद में कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। लेकिन बस की छत पर रखा सारा सामान जलकर राख हो गया।
पानी की बोतलों से लोगों ने बुझाई आग
Bus Fire: यमुना एक्सप्रेसवे पर बस में लगी इस आग की घटना ने सभी का ध्यान अपनी और खींच लिया। वो इसलिए क्योंकि यहां इस बार हादसे से बड़ा था इंसानियत का जज़्बा। दरअसल, बस में आग लगता देख एक्सप्रेसवे से गुजर रही कारों और बसों में बैठे यात्रियों ने बिना सोचे-समझे अपनी पानी की बोतलें निकाली और मिलकर आग पर काबू पाने में जुट गए। इंसानियत की ये बूँदें आग की लपटों से कहीं ज़्यादा ताक़तवर दिखी और यही कारण रहा कि इस हादसे में कोई भी जनहानि नहीं हुई।
जबकि इस मामले में दनकौर पुलिस का कहना है कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई है। दनकौर कोतवाली प्रभारी मुनेंद्र सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया कि दिवाली की आतिशबाजी के कारण कोई पटाखा बस की छत पर गिरा, जिससे आग लगी। शिकायत मिलने पर आगे की जांच और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अब सवाल उठता है कि इन हादसों से सबक लेकर सरकार ये तय कोई नहीं कर पाती कि भविष्य में ऐसी घटना नहीं घटेगी। आखिर क्यों सरकार इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाता? कुछ जानकारों का कहना है कि जब तक नीतियों में पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं आएगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी और आम लोग यूं ही अपनी जान गंवाते रहेंगे।
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