DELHI BOMB BLAST: लाल किला के पास कार ब्लास्ट और उसी शाम सरोजिनी-नगर व पहाड़गंज में हुए धमाकों ने राजधानी को दहला दिया।
कुछ मिनटों में बाज़ारों की चहल-पहल चीखों और आग में बदल गई।
इतिहास के काले पन्नों से जुड़ी वही यादें, 2005 और 2008 की पुरानी तकलीफ आज फिर ताज़ा हुईं।
दिल्ली के रिकॉर्ड किए गए प्रमुख धमाके
DELHI BOMB BLAST: दिल्ली के इतिहास में दर्ज प्रमुख बम धमाकों की रिपोर्ट में संख्या अलग-अलग आती हैं; नीचे दी गई संख्या विभिन्न मीडिया / आधिकारिक रिपोर्ट्स के संकलन के आधार पर सारांशित है: 1996 (Lajpat Nagar / अन्य घटनाएँ), करीब 12–15 मौतें दर्ज. 1997 (अक्टूबर/किसी लहर), कुछ रिपोर्टों में कुल मिलाकर लगभग 50–60 के आस-पास हताहतों का उल्लेख मिलता है। 29 अक्तूबर 2005 (सीरियल ब्लास्ट), लगभग 62–67 लोगों की मौत और S.O. रिपोर्ट्स में सैकड़ों घायल। 13 सितंबर 2008 (सीरियल ब्लास्ट), लगभग 20–30 मौतें और दर्जनों घायल।
घटनाक्रम और गवाहियों के मुताबिक
DELHI BOMB BLAST: 1) लाल किले के पास कार ब्लास्ट, राजधानी का दिल दहला, शाम के समय लाल किले के आसपास, पुलिस चौकी के पास एक कार में जोरदार विस्फोट हुआ। पास के लोग फट कर गिर पड़े, इलाके में धुआँ, आग और भगदड़ मची। मौके पर दिल्ली पुलिस, NIA और दमकल पहुंची और बचाव-कर्म में जुट गई। शुरुआती रिपोर्ट्स में 10 से अधिक मौतों का हवाला दिया गया, पर जांच अभी चल रही है। आसपास के इलाके खाली कराए गए और सुरक्षा चौकियाँ बढ़ा दी गईं।
2) पहाड़गंज, DTC बस में मिला संदिग्ध बैग, ड्राइवर बना जान बचाने वाला हीरोउसी , शाम पहाड़गंज में भी अफरातफरी मची। एक DTC बस में संदिग्ध बैग मिलने की सूचना थी, बस में करीब 70 यात्रियों सवार थे। ड्राइवर कुलदीप सिंह और कंडक्टर ने तुरंत बस खाली करवाई और यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर उतारा। कुछ ही देर बाद बैग में धमाका हुआ। यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई होती तो बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती थी। इस चतुर और तत्पर रवैये की वजह से दर्जनों जिंदगियाँ बच गईं।
3) सरोजिनी नगर (शॉपिंग मार्केट), जूस कॉर्नर का बैग और ज़ाहिर-असर त्रासदी, सरोजिनी नगर के एक व्यस्त-तम हिस्से में, श्याम जूस कॉर्नर के पास ,एक अजनबी ने बैग छोड़कर चला दिया। दुकान के कर्मचारी छोटू यादव ने बैग देखा और मालिक लाल चंद सलूजा को बताया। लाल चंद ने पुलिस को देने की कवायद की, पर उसी समय जोरदार धमाका हुआ। धमाके ने पास रखे सिलेंडरों को भी फटा दिया; दुकानें जल उठीं और आसपास अफरा-तफरी मच गई। आग बुझने के बाद चारों ओर लाशें ही लाशें बिखरी मिलीं, दुकानदार लाल चंद सहित कई लोग मारे गए; घायलों की संख्या भी बहुत अधिक थी और कई शवों की पहचान करना मुश्किल हो गया।
नुकसान का अनुमान और मनवूझत तस्वीर
DELHI BOMB BLAST: उपलब्ध तस्वीरों और चश्मदीद विवरणों के अनुसार उस शाम दिल्ली में दर्जन-दर-दर्जन लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। 2005 व 2008 जैसी घटनाओं की यादें लोगों के दिलों में ताज़ा हो उठी, जब भीड़-भाड़ के समय हुए हमलों ने राजधानी को घायलों और शोकाकुल परिवारों से भर दिया था।
जवाबदेही ,किसने जिम्मेदारी ली / एजेंसियों की धारणा
DELHI BOMB BLAST: प्रारम्भिक जांच में सुरक्षा एजेंसियाँ उन आतंकी संगठनों पर शक जता रही थीं जो पहले भी बड़ी हमलों से जुड़े रहे हैं। 2005 और 2008 के सीरियल ब्लास्ट के संदर्भ में लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे नाम जांच की सूची में आते रहे। वर्तमान घटनाक्रम में भी एजेंसियाँ संभावित नेटवर्क, विस्फोटक स्रोत और विस्फोट-सामग्री के तारों का पता लगा रही हैं , जांच जारी है, और आधिकारिक बयानों का इंतज़ार है।
चश्मदीद और स्थानीय दृश्य
DELHI BOMB BLAST: बाज़ारों में लोग चीखते-भागते देखे गए; दुकानें जलती रहीं और चिकित्सा व बचाव कर्मियों की टीमें घायल उठाती रहीं। अस्पतालों के ईआर पर खून से सने वार्ड अउर पौष्टिक चिकित्सा के लिए कतारें लग गईं। कई परिवारों ने अपने लापता सदस्यों की तलाश में घंटों गुज़ार दी, पहचान के लिए परखना और कागज़ी-प्रक्रिया काफी परेशान करने वाली रही।
हाल में हुई घटनाएं
DELHI BOMB BLAST: हालिया लाल किला-पास कार ब्लास्ट: 10+ मौत (initial report)। 29 अक्तूबर 2005 सीरियल ब्लास्ट: 62–67 मौतें (विभिन्न रिपोर्ट्स में रेंज)। 13 सितंबर 2008: ~20–30 मौतें। पहाड़गंज DTC बस, सुरक्षा-कदम से ~70 यात्रियों की जान बची। Faridabad में कथित रूप से ~2900 kg विस्फोटक जब्त होने की सूचनाएँ, इस संदर्भ ने सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ाई थी।
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