Goldman Sachs Indian Share Market: नई दिल्ली, वैश्विक निवेश बैंक गोल्डमैन सैश भारतीय शेयर बाजार पर बुलिश बना हुआ है और रेटिंग को अपग्रेड कर ‘ओवरवेट’ कर दिया है। वहीं, निफ्टी के लिए 2026 के आखिर तक 29,000 का टारगेट दिया गया है, जो कि मौजूदा स्तरों से 14 प्रतिशत ऊपर है।

भारतीय इकॉनमी को मिल रहा ग्लोबल सपोर्ट
Goldman Sachs Indian Share Market: वैश्विक निवेश बैंक ने हाल ही में भारत के विकास में तेजी होने का अनुमान लगाया है, जिससे मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों, विदेशी निवेशकों की रुचि और कंपनियों की आय में सुधार का फायदा मिलेगा। अक्टूबर 2024 में गोल्डमैन सैश ने भारतीय इक्विटी को डाउनग्रेड किया था। इसकी वजह वैल्यूएशन का अधिक होना और आय में धीमापन आना था।
Foreign Investors की वापसी का संकेत
Goldman Sachs Indian Share Market: रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी निवेशकों के पोर्टफोलियो से 30 अरब डॉलर के बड़े आउटफ्लो के कारण भारतीय इक्विटी ने पिछले एक साल में एमएससीआई ईएम की तुलना में 25 प्रतिशत कम प्रदर्शन किया है, जो 20 सालों में सबसे बड़ा अंतर है।
गोल्डमैन सैश ने कहा कि बाजार के हालिया रुझान धारणा में बदलाव का संकेत देते हैं क्योंकि मूल्यांकन कम हो गया है और विदेशी निवेशकों के जोखिम उठाने की क्षमता में सुधार हुआ है।

Domestic Demand बनेगी अगली Growth Driver
Goldman Sachs Indian Share Market: रिपोर्ट में कहा गया, “अब हमें लगता है कि आने वाले वर्ष में भारतीय इक्विटी बेहतर प्रदर्शन करेंगे। अब हमें लगता है कि आने वाले वर्ष में भारतीय इक्विटी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।” वैश्विक निवेश बैंक के अनुसार, सितंबर तिमाही के लिए कॉर्पोरेट आय “उम्मीद से बेहतर” रही, जिससे चुनिंदा सेक्टर्स में अपग्रेड हुआ है।
कौन से सेक्टर लीड करेंगे बाजार की अगली तेजी?
Goldman Sachs Indian Share Market: गोल्डमैन सैश के अनुसार, आने वाले दो वर्षों में भारत की घरेलू मांग में बढ़त देखने को मिलेगी। इसकी वजह ब्याज दरों में कमी, तरलता में सुधार, धीमा राजकोषीय समेकन और जीएसटी सुधार हैं। गोल्डमैन सैश का मानना है कि बाजार में अगले चरण की तेजी को वित्तीय, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, डिफेंस, टेक्नोलॉजी, मीडिया और टेलीकॉम और ऑयल मार्केटिंग सेक्टर्स की कंपनियां लीड करेंगी।
कम महंगाई और मजबूत कृषि चक्र से बढ़ेगा उपभोग
Goldman Sachs Indian Share Market: निवेश बैंक ने आगे कहा कि कम खाद्य महंगाई, मजबूत कृषि चक्र, जीएसटी दरों में कमी और आठवें वेतन आयोग के तहत संभावित वेतन वृद्धि मिलकर व्यापक उपभोग को बढ़ावा देंगे और उपभोक्ता-संबंधित उद्योगों में मांग और मुनाफे में वृद्धि करेंगे।
–आईएएनएस
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