PM MODI: नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत रत्न और वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।
आडवाणी का जीवन भारत की प्रगति
PM MODI: इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पोस्ट पर लिखा कि लालकृष्ण आडवाणी को उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं। एक महान दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता से संपन्न राजनेता, आडवाणी का जीवन भारत की प्रगति को सुदृढ़ करने के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने सदैव निस्वार्थ कर्तव्य और दृढ़ सिद्धांतों की भावना को अपनाया है। उनके योगदान ने भारत के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। ईश्वर उन्हें उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करे।
जन्मदिन की शुभकामनाएं
PM MODI: इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि भाजपा के संस्थापक सदस्य, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत, ‘भारत रत्न’ लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
संगठन से लेकर सरकार तक
PM MODI: वहीं, लालकृष्ण आडवाणी ने यह बताया है कि कैसे निःस्वार्थ भाव से पूरा जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पित किया जाता है। संगठन से लेकर सरकार तक, उनके हर दायित्व का एक ही लक्ष्य रहा है, राष्ट्र प्रथम। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संगठन को गांवों की चौपालों से लेकर महानगरों तक पहुंचाया और गृह मंत्री के रूप में देश की सुरक्षा को सुदृढ़ किया। श्रीरामजन्म भूमि आंदोलन में भी उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई और रथ यात्रा निकालकर पूरे देश में जनजागरण किया। ईश्वर से उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।
कराची में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी
PM MODI: बता दें कि 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी का बचपन देश के विभाजन की त्रासदी से जुड़ा है। विभाजन के समय आडवाणी ने भी दिल्ली का रुख किया। सेंट पैट्रिक स्कूल, कराची और बाद में बॉम्बे लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने वाले आडवाणी किशोर अवस्था में ही राष्ट्रसेवा से जुड़ गए थे। महज 14 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए। राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने पत्रकारिता से की। ऑर्गनाइजर नामक साप्ताहिक में सह-संपादक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने भारतीय राजनीति की गहराइयों को करीब से देखा। यही अनुभव आगे चलकर उन्हें विचारवान राजनीतिज्ञ के रूप में गढ़ता गया।
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