आज के समय में हर कोई जल्दी या कहे तो कम उम्र में बाल सफ़ेद होने की समस्या से परेशान है। यह बढ़ते प्रदूषण, तनाव, अनिद्रा और असंतुलित दिनचर्या के चलते हो रहा है। रासायनिक उत्पाद और महंगे ट्रीटमेंट भले कुछ समय के लिए असर दिखाएं, लेकिन लंबे समय तक राहत नहीं दे पाते। ऐसे में आयुर्वेद फिर से आधुनिक जीवनशैली की समस्याओं का पारंपरिक और स्थायी समाधान बनकर सामने आया है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने नास्या थेरेपी को इस समस्या के लिए बेहद असरदार और सरल उपाय बताया है। यह थेरेपी पंचकर्म का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसमें नाक के माध्यम से औषधीय तेल या हर्बल द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है ताकि शरीर और मस्तिष्क दोनों को संतुलन और शक्ति मिल सके।
नास्या थेरेपी क्या है?
आयुर्वेद में नाक को शरीर का “द्वार” कहा गया है, जो सीधे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी होती है। नास्या थेरेपी इसी सिद्धांत पर आधारित है। इसमें नासिका के माध्यम से औषधीय तेल या हर्बल द्रव्यों की कुछ बूंदें डाली जाती हैं, जो न केवल श्वसन मार्ग को साफ करती हैं बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
मंत्रालय के अनुसार, नास्या थेरेपी का नियमित प्रयोग शरीर में संतुलन बनाए रखता है और चेहरे की त्वचा, बाल, आंखों और नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
“दो बूंद अनु तेल” , छोटे उपाय, बड़े फायदे
नास्या में सबसे प्रचलित औषधीय तेल है अनु तेल (Anu Tailam) , जो कई जड़ी-बूटियों से मिलकर तैयार किया जाता है। रोज सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले नाक के दोनों छिद्रों में अनु तेल की दो-दो बूंदें डालने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि नास्या से सिर की नसों में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं। यह प्रक्रिया बालों के झड़ने को रोकती है और समय से पहले सफेद होने की समस्या को कम करती है।
मस्तिष्क को मिलता है आराम
तनाव, चिंता और नींद की कमी बालों की सेहत को सीधे प्रभावित करती हैं। नास्या थेरेपी मस्तिष्क को शांति देती है, जिससे मानसिक तनाव घटता है और नींद की गुणवत्ता सुधरती है। नियमित रूप से इसे करने वाले लोगों को ]गहरी, निर्बाध और सुकूनभरी नींद का अनुभव होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि नास्या थेरेपी से सैरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे हार्मोन का संतुलन सुधरता है, जो नींद और मूड पर असर डालते हैं।
उपाय एक फायदे अनेक
नास्या थेरेपी का असर केवल बालों तक सीमित नहीं है। नाक के मार्ग साफ रहने से साइनसाइटिस, सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। चेहरे पर भी इसका असर दिखाई देता है। त्वचा में निखार आता है और झुर्रियां धीरे-धीरे कम होती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, जब मस्तिष्क, नसें और रक्त संचार संतुलित होते हैं, तो पूरा शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करता है।
सावधानी जरूरी , चिकित्सक की सलाह से करें प्रयोग
आयुष मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि नास्या थेरेपी को प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए। तेल की सही मात्रा, समय और प्रक्रिया का पालन आवश्यक है, अन्यथा लाभ की जगह परेशानी भी हो सकती है।
इसके अलावा, जिन लोगों को जुकाम, सर्दी, बुखार या साइनस की गंभीर समस्या है, उन्हें चिकित्सक की सलाह के बिना नास्या नहीं करना चाहिए।
दो बूंद बन रही कई समस्याओं का समाधान
आयुर्वेद की यह प्राचीन पद्धति आज की तेज़ रफ़्तार और तनावपूर्ण जिंदगी में राहत का सरल उपाय बन सकती है। रोज़ाना बस दो बूंद अनु तेल डालने से न केवल बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं, बल्कि दिमाग को भी नई ऊर्जा मिलती है। यह थेरेपी शरीर, मन और आत्मा,तीनों को एक साथ संतुलन में लाने की दिशा में एक छोटा मगर प्रभावशाली कदम है।
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