Uttarakhand Foundation Day : देव भूमि उत्तराखंड पहले उत्तरांचल और उत्तरप्रदेश राज्य का हिस्सा हुआ करता था। जिसकी अपनी विरासत और संस्कृति थी बस कमी थी तो सुविधाओं की जिसने उत्तराखंड वासियों को एक अलग राज्य बनाने के लिए प्रेरित किया। 9 नवंबर सन 2000 यह वो दिन रहा जिस दिन भारत के नक़्शे में नए राज्य का जन्म हुआ। यह भारत के गणराज्य का 27वां राज्य बना। आज, दो दशक से अधिक समय बाद, उत्तराखंड न केवल अपने निर्माण के संघर्ष को याद कर रहा है, बल्कि विकास, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को भी छू रहा है।
आंदोलन से राज्य बनने तक की कहानी
Uttarakhand Foundation Day : उत्तराखंड के गठन की राह आसान नहीं थी। अलग राज्य की मांग को लेकर 1990 के दशक में जन आंदोलनों की लंबी श्रृंखला चली। उत्तराखंड के लोग पर्वतीय क्षेत्र की उपेक्षा से परेशान थे। प्रशासनिक दृष्टि से सुविधाओं का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी और विकास का असमान वितरण लोगों के असंतोष का कारण बना। यही असंतोष धीरे-धीरे आंदोलन में तब्दील हुआ।
अनेक प्रदर्शन, धरने, आमरण अनशन और रैलियों के बाद आखिरकार जनता की आवाज़ संसद तक पहुंची। इसी संघर्ष के परिणामस्वरूप 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला। यह कहने में अतिशयोक्ति न होगी की आंदोलनों से उठी आग ने उत्तराखंड में आजादी के नए दीप जला दिए।
संविधान की प्रक्रिया और अटल सरकार की भूमिका
Uttarakhand Foundation Day : भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत नया राज्य बनाने की प्रक्रिया निर्धारित है। इसके अनुसार, संसद में पुनर्गठन विधेयक पेश कर उसे संबंधित राज्य की विधानसभा में भेजा जाता है। वहां से सहमति मिलने के बाद संसद के दोनों सदनों में साधारण बहुमत से विधेयक पारित होता है और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर नया राज्य अस्तित्व में आता है। 19 मार्च 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी। तब उत्तराखंड राज्य आंदोलन को देशभर में पहचान मिल चुकी थी। अटल सरकार ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि झारखंड और छत्तीसगढ़ को भी अलग राज्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए।
संसद में संघर्ष, राज्यसभा में परीक्षा
Uttarakhand Foundation Day : 1998 में कैबिनेट ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए पुनर्गठन विधेयक लोकसभा में पेश किया। लोकसभा में यह विधेयक पास हो गया, लेकिन सरकार गिरने के कारण प्रक्रिया थम गई। जब 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी दोबारा सत्ता में आए, तो विधेयक को फिर से आगे बढ़ाया गया। जिसके बाद अटल बिहारी वाजपई ने उत्तराखंड को अटल करने की ठानी।
लोकसभा में तो यह आसानी से पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा में यह बड़ा परीक्षण साबित हुआ क्योंकि उस समय एनडीए गठबंधन अल्पमत में था। विपक्षी दलों के सहयोग से ही बिल पास हो पाया और आखिरकार राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह ‘उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम’ बना।
उत्तरांचल में हुआ स्वतंत्रा का नया सवेरा
Uttarakhand Foundation Day : राष्ट्रपति की अनुमति मिलते ही 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड जो उस वक्त उत्तरांचल था वो अब उत्तराखंड बन गया चूका था। जो कि भारत का 27वां राज्य बना। देहरादून को अस्थायी राजधानी घोषित किया गया और नैनीताल के नजदीक गैरसैंण को भविष्य की राजधानी के रूप में चिन्हित किया गया।
यह सिर्फ प्रशासनिक बदलाव नहीं था, बल्कि उस जनसंघर्ष की जीत थी जिसमें हजारों लोगों ने अपनी आहुति दी थी।
उत्तराखंड लिख रहा विकास की परिभाषा
Uttarakhand Foundation Day : 25 साल बाद उत्तराखंड आज विकास के पथ पर अग्रसर है। पहाड़ों की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद राज्य ने पर्यटन, शिक्षा, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय प्रगति की है। चारधाम यात्रा, केदारनाथ पुनर्निर्माण, ऑल-वेदर रोड और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स ने राज्य को नई पहचान दी है।
राज्य सरकार अब “सिल्वर जुबली” वर्ष को विकास की नई उड़ान के रूप में मना रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य को 2025 तक “श्रेष्ठ उत्तराखंड” बनाने का संकल्प लिया है।
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