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Al Falah University: चर्चित “अल-फलाह यूनिवर्सिटी” क्यों है चर्चा में और क्या है इसकी कहानी, पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट

Al Falah University: अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक निजी विश्वविद्यालय है, जो हरियाणा के फरीदाबाद (धौज क्षेत्र) में स्थित है। यह शैक्षणिक, चिकित्सा और इंजीनियरिंग शिक्षा का एक केंद्र है, लेकिन हाल ही में इसकी प्रतिष्ठा पर गंभीर जांच की छाया पड़ी है क्योंकि इसे दिल्ली ब्लास्ट मामले से जोड़कर देखा जा रहा है।

स्थापना और विकास

Al Falah University: अल-फलाह यूनिवर्सिटी की शुरुआत Al-Falah Charitable Trust ने की थी। यह ट्रस्ट दिल्ली (ओखला) में पंजीकृत है।
इसकी स्थापना हरियाणा विधायी सभा के माध्यम से हुई। Haryana Private Universities (Amendment) Act, 2014 के तहत यह विश्वविद्यालय पहले एक्ट 21 के रूप में पारित किया गया था।

Al Falah University: विश्वविद्यालय को 2 मई 2014 को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया गया। बाद में, विश्वविद्यालय को UGC (University Grants Commission) द्वारा मान्यता दी गई, विशेष रूप से UGC Act की धारा 2(f) और 12(B) के अंतर्गत।

आरंभिक चरण – इंजीनियरिंग कॉलेज

अल-फलाह का शैक्षणिक जीवन 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में शुरू हुआ था। उस समय इसके पाठ्यक्रम में मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स & कम्युनिकेशन, कंप्यूटर साइंस आदि शामिल थे।
कॉलेज को AICTE की मंजूरी मिली थी और यह गुरु जम्बेश्वर यूनिवर्सिटी (Hisar) से सम्बद्ध था।

धीरे-धीरे भूमि अधिग्रहण हुआ; धौज, फरीदाबाद में लगभग 56 एकड़ जमीन प्राप्त की गई। अल-फलाह को संविधान के अनुच्छेद 30(1) के अंतर्गत घटक अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा मिला।

चिकित्सा शिक्षा में भी प्रवेश किया गया

Al Falah University: अल फलाह स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना हुई, और 2019 में पहले MBBS बैच को NMC की मंजूरी मिली। विश्वविद्यालय का हॉस्पिटल भी है, अल फलाह हॉस्पिटल, जहां 650 बेड का चैरिटेबल सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल है, जिसमें एमआरआई, सीटी-स्कैन, और अन्य सुविधाएँ हैं।

छात्रों के लिए नौकरी मेले (जॉब फेयर) आयोजित किए जाते हैं; उदाहरण के लिए, 2016 में लगभग 24 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। आर्थिक रूप से पिछड़े या अल्पसंख्यक समुदायों से आने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाती है।

विवाद और दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ाव

हाल ही में, अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर गंभीर आरोप लगे हैं जो इसे दिल्ली लाल किला कार ब्लास्ट से जोड़ते हैं। नीचे विस्तार से बताया गया है:

ब्लास्ट के आरोप और जांच

Al Falah University: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनिवर्सिटी के कुछ मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर (डॉक्टर) को दिल्ली ब्लास्ट मामले में आरोपित किया गया है। बताया गया है कि विश्वविद्यालय के परिसर में विस्फोटक सामग्री को तैयार करने की गतिविधियाँ संचालित थीं। पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी में छापेमारी की है। दिल्ली ब्लास्ट के संदिग्धों में शामिल डॉ. उमर उन नबी यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं।

वित्तीय जांच और रिकॉर्ड

Al Falah University: ED भी विश्वविद्यालय की फंडिंग की जांच कर रही है। आरोप है कि विश्वविद्यालय को विदेशी (अरब देशों से) दान मिलता है, और यह नेटवर्क आतंकवाद-संबद्ध गतिविधियों से जुड़ा हो सकता है। इसके साथ ही, NAAC ने विश्वविद्यालय को झूठी मान्यता के आरोपों पर शो-कॉज़ नोटिस जारी किया है।

विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया

Al Falah University: यूनिवर्सिटी ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि आरोपियों के साथ उनका संबंध केवल औपचारिक नौकरी संबंधी है, उनका कहना है कि किसी कट्टरपंथी साजिश में विश्वविद्यालय की सुविधा का दुरुपयोग नहीं हुआ है।

यूनिवर्सिटी ने लैब गतिविधियों की नैतिकता की पुष्टि करते हुए कहा है कि सभी प्रयोगशालाएँ “नियामक सुरक्षा और नैतिक मानकों के अनुसार” संचालित होती थीं।

वर्तमान स्थिति और प्रभाव

AIU ने सदस्यता रद्द कर के विश्वविद्यालय पर अपनी पहचान और प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है। जांच एजेंसियों (पुलिस, ED) के सक्रिय होने से यूनिवर्सिटी की वित्तीय और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठ गए हैं।

NAAC द्वारा शो-कॉज़ नोटिस देने से अकादमिक मान्यता और भरोसे की समस्या गंभीर हो गई है। छात्रों, फैकल्टी और कर्मचारियों के लिए यह एक अनिश्चित समय है, कई लोग चिंतित हैं कि विश्वविद्यालय की छवि एवं संचालन किस दिशा में जाएगा।

भविष्य पर गहरा  प्रभाव

Al Falah University: वस्तुत: अल-फलाह यूनिवर्सिटी, जो कभी इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में शुरू हुई थी और बाद में मेडिकल और अन्य पाठ्यक्रमों तक फैली, एक महत्वाकांक्षी शैक्षणिक संस्थान रही है। लेकिन हाल के दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ी जांचों ने इसे विवाद के केंद्र में ला खड़ा किया है। कई प्रमुख आरोप, जैसे कि आतंकवादी मॉड्यूल, वित्तीय परीक्षण, और मान्यता से जुड़ी अनियमितताएँ विश्वविद्यालय के भविष्य पर गहरी छाप छोड़ सकती हैं।

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