Meerut News: मेरठ प्रशासन ने शहर की प्रवासी बस्तियों पर निगरानी को लेकर बड़ा कदम उठाया है। झुग्गी-झोपड़ी और मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों का व्यापक सर्वे पूरा कर लिया गया है जिसमें लगभग 6500 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान हुई है। प्रशासन का कहना है कि इनमें से करीब 3200 लोगों की पहचान को लेकर गंभीर शंकाएं हैं, इसलिए उनके दस्तावेज विभिन्न राज्यों की पुलिस के पास सत्यापन के लिए भेजे गए हैं। सर्वे के मुताबिक असम से आने वाले प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक है जो करीब 50 प्रतिशत है। बाकी लोग पश्चिम बंगाल राजस्थान और मध्य प्रदेश से मूल निवासी होने का दावा करते हैं। कई परिवारों ने पहचान पत्र उपलब्ध नहीं कराए जिसके चलते उनके नाम अलग सूची में दर्ज किए गए
ड्रोन से कड़ी निगरानी
एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि पिछले चार महीनों में गठित झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ ने मेरठ में 52 ऐसे स्थान चिह्नित किए हैं जहां प्रवासी समुदाय बड़ी संख्या में रह रहा है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से इन इलाकों की नियमित निगरानी ड्रोन कैमरों से की जा रही है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत पता चल सके। अधिकारियों के अनुसार सत्यापन पूरा होने के बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि ये लोग वैध प्रवासी हैं या विदेशी नागरिकों के रूप में यहां ठहरे हुए हैं।
Meerut News: मेरठ में भी बनेगा डिटेंशन सेंटर
गाजियाबाद के नंदग्राम मॉडल पर मेरठ में भी 500 लोगों की क्षमता वाला डिटेंशन सेंटर स्थापित किया जा रहा है। जिलाधिकारी डॉ. वी. के. सिंह ने नगर निगम को उपयुक्त स्थान चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। प्रस्तावित सेंटर में विदेशी नागरिकों के लिए आवास स्वास्थ्य सुविधाएं और भोजन की व्यवस्था की जाएगी। डीएम का कहना है कि अब तक जिले में किसी बांग्लादेशी रोहिंग्या या अन्य विदेशी मूल के व्यक्ति के मिलने की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन एहतियात के तौर पर व्यवस्थाएं पहले से दुरुस्त की जा रही हैं।
प्रमुख प्रवासी क्षेत्र
हापुड़ रोड और लिसाड़ी गेट क्षेत्र प्रवासी बस्तियों के प्रमुख केंद्र बताए जा रहे हैं। लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड फतेहउल्लापुर, घोसीपुर, आशियाना कॉलोनी और सोफीपुर जैसी जगहों पर बड़ी संख्या में असम और बंगाल से आए लोग कबाड़ बीनने जैसे कार्यों से अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि 2022 में हापुड़ रोड स्थित 44वीं पीएसी के पास लगी आग के बाद कई लोगों ने फर्जी आधार कार्ड बनवाए थे जिसके बाद अब पहचान सत्यापन की प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया गया है।
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