ADHAR CARD: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए स्पष्ट किया है कि वोटर लिस्ट तैयार करने या उसमें संशोधन करने के दौरान आधार कार्ड केवल व्यक्ति की पहचान की पुष्टि करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आयोग ने कहा कि आधार नागरिकता का सबूत नहीं है, इसलिए इसे यह साबित करने के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता कि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक है।
आधार कार्ड नहीं है नागरिकता की पहचान

आयोग ने कहा कि सिर्फ आधार कार्ड होने या न होने के कारण किसी भी नागरिक का नाम मतदाता सूची में न तो जोड़ा जाएगा और न ही हटाया जाएगा। आधार का उपयोग केवल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि किसी व्यक्ति का नाम दो बार या गलत तरीके से दर्ज न हो। यह प्रक्रिया सही पहचान और साफ-सुथरी मतदाता सूची बनाने के लिए अपनाई जा रही है। हलफनामे में आयोग ने 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया है, जिसमें अदालत ने कहा था कि आधार का इस्तेमाल केवल पहचान सत्यापन यानी वेरिफिकेशन के लिए किया जा सकता है। इसी आदेश के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश जारी किए थे कि आधार को सिर्फ पहचान का साधन माना जाए, न कि नागरिकता प्रमाण के रूप में।
ADHAR CARD: बिहार चुनाव में बना था चर्चा का विषय
आयोग ने आधार एक्ट की धारा 9 और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 23(4) का हवाला देते हुए कहा कि कानूनी रूप से भी आधार नागरिकता साबित करने का प्रमाण पत्र नहीं माना जा सकता। इसलिए इसे वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने या हटाने के आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
यह मामला तब चर्चा में आया जब बिहार में कुछ लोगों, खासकर मतुआ समुदाय के बीच इस बात का डर फैल गया कि यदि उनके पास पुराने दस्तावेज या आधार अपडेट नहीं है तो उनका नाम मतदाता सूची से हट सकता है। इस आशंका के बाद लोग परेशान थे। इस स्थिति को देखते हुए आयोग ने साफ किया कि पहचान सत्यापन के लिए आधार एक विकल्प है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। इसके अलावा पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड और बैंक दस्तावेज जैसे अन्य पहचान पत्र भी स्वीकार किए जाते हैं।
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