DOG BANNED: जानवरों में मुख्य रूप से कुत्तों की चर्चा आज देशभर में इसलिए है क्योंकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने देश में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है, कि राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला पूरे देश में लागू होगा। सभी स्टेट और नेशनल हाईवे से आवारा पशु हटाए जाएं।
आदेश का कारण भी जान लेते हैं
DOG BANNED: देश के कई हिस्सों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें आवारा कुत्तों के हमले से बच्चे, बुजुर्ग और आम नागरिक घायल हो रहे हैं। शहरी इलाकों में बढ़ती आबादी और कूड़ा-कचरे के ढेर ने कुत्तों की संख्या में तेजी से इजाफा किया है। अस्पतालों और स्कूलों के बाहर झुंड बनाकर बैठे कुत्ते कई बार राहगीरों पर हमला कर देते हैं, जिससे भय का माहौल बन गया है। लोगों का कहना है कि रात के समय सड़कों पर निकलना अब पहले जितना सुरक्षित नहीं रहा।
क्या है अदालत का मानवीय पहलू ?
DOG BANNED: माननीय न्यायालय ने यह भी कहा कि, इन कुत्तों के साथ क्रूरता न की जाए। उन्हें व्यवस्थित डॉग शेल्टर में रखा जाए, जहां उनके भोजन, इलाज और नसबंदी की उचित व्यवस्था हो। कोर्ट ने स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कुत्तों की देखभाल के लिए पर्याप्त संसाधन और प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद हो। अदालत ने यह भी कहा कि कुत्तों को इंसान का दुश्मन नहीं बल्कि जिम्मेदारी के रूप में बल्कि जिम्मेदारी के रूप में देखा जाए।

कुत्तों का कितना है समाज में महत्व जानिए
DOG BANNED: कुत्ते न केवल वफादार जीव माने जाते हैं, बल्कि मानव जीवन के साथी और रक्षक भी हैं। वे सुरक्षा, खोजबीन और बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं। कई परिवारों के लिए कुत्ते भावनात्मक रूप से भी बेहद करीब होते हैं। ऐसे में उन्हें सड़कों से हटाना एक संवेदनशील कदम है, जिसे संतुलित दृष्टिकोण से अपनाना जरूरी है। आपने कुत्तों का दूसरा पहलू यह भी देखा होगा कि उन्होंने अपने गली मोहल्ले अर्थात घर में लोगों की कई बार जान बचाई है।

क्या जरूरी : पशु अधिकार या सार्वजनिक सुरक्षा?
DOG BANNED: यह फैसला जहां लोगों की सुरक्षा की दिशा में अहम माना जा रहा है, वहीं पशु अधिकार संगठनों ने चिंता जताई है कि ऐसे आदेशों से कुत्तों के जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यदि शेल्टरों में सुविधाओं की कमी रही तो उनके लिए यह जीवन कठिन हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समाधान केवल हटाने में नहीं, बल्कि नसबंदी, टीकाकरण और भोजन प्रबंधन की दीर्घकालिक नीति में है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल नागरिक सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह एक ऐसा कदम भी है जो इंसान और पशु—दोनों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में नया अध्याय खोल सकता है।
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