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धर्मांतरण की बढ़ती लपटें: ग्वालियर से लखनऊ तक हिला देने वाला सच, पढ़े यह विशेष रिपोर्ट

religious coversion

 

Religiousconversion : देश में धर्मांतरण का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा कई बार धर्म परिवर्तन की घंटी बजती तो धार्मिक स्थलों से है पर इसकी आवाज का असर सदियों तक की पीढ़ी को कार्बन कॉपी में बदलकर रख देता है। धर्मान्तरण के जादू में कभी चमत्कार होते है तो कभी शिक्षा और सेवा के बहाने नजर बांध दी जाती है। इसके पीछे का मकसद साफ है अपने धर्म का विस्तार फिर चाहे किसी की विरासत छिन जाएं, संस्कृति से वास्ता टूट जाएं, माय -बाप और खुदा भी चाहे कोई और हो जाएं पर फिर भी धर्मांतरण की दुकान चलाने वालों को फर्क नहीं पड़ता। उन्हें तो बस अपने ग्राहकों से मतलब है। हाल ही में मध्यप्रदेश के ग्वालियर के बड़ागांव क्षेत्र में स्थित एक बिशप निवास परिसर से ऐसी ही एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है जिसने एक बार फिर कई सवालिया निशान खड़े कर दिए है।

अखबार ने किया खुलासा

Religiousconversion : एक प्राइवेट मीडिया न्यूज़ पेपर के मुताबिक, ग्वालियर स्थित एक परिसर के सेंटर में 26 बच्चों को ईसाई धर्म से जुड़ी हुई धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी, जो मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों के अलावा ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और केरल से लाए गए थे। बताया जा रहा है कि ये बच्चे ईसाई मिशनरी संगठन द्वारा संचालित एक केंद्र में धर्मोपदेशक (Religious Instructors) बनने की ट्रेनिंग ले रहे थे।
सेंटर शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर है, और धार्मिक अनुष्ठान ग्रामीण इलाके में आयोजित किए जा रहे हैं जिससे मामला गुप्त बना रहे। मतलब धर्मांतरण का ट्रैप इतना मजबूत है की वो बच्चों का अब बचपन भी छीनने लगा है।

सवाल वही पुराना, पर जवाब आज भी अधूरा

Religiousconversion : भारत में यह पहली घटना नहीं है। समय-समय पर ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिन्होंने समाज और प्रशासन दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है ।
कुछ दिनों पहले लखनऊ में चल रहे तथाकथित “मायालोक चमत्कार केंद्र” का पर्दाफाश हुआ था, जहाँ फर्जी चमत्कारों के नाम पर सामूहिक धर्मांतरण करवाया जा रहा था। अध्ययन बताते हैं कि ऐसे मामलों में आदिवासी और गरीब मजदूर वर्ग को निशाना बनाया जाता है। उन्हें शिक्षा, नौकरी, इलाज या चमत्कारों के बहाने अपनी आस्था बदलने को प्रेरित किया जाता है, जब वे ऐसा कर लेते है तो फिर भी उनके साथ दोहरा चरित्र अपनाया जाता है ।

कानून सख्त, पर सिस्टम कमजोर

Religiousconversion : उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में धर्म परिवर्तन को लेकर पहले ही धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 लागू है। सामान्य धर्मांतरण पर: 1 से 5 साल तक जेल का प्रावधान है । महिला, नाबालिग या एससी-एसटी वर्ग से जुड़े मामलों में: 2 से 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपए जुर्माना लिया जाना तय है ।
सामूहिक धर्मांतरण पर: 5 से 10 साल जेल और 1 लाख रुपए जुर्माना। साथ ही, धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य है।

आस्था की जंग या लालच का खेल ?

Religiousconversion : भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता देता है , यानी कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को अपना सकता है। लेकिन जब लालच, डर या धोखे के जरिए किसी की आस्था बदली जाए , किसी की संस्कृति पर सीधे हमला बोला जाये , तो सवाल सिर्फ धर्म का नहीं, बल्कि सिस्टम की लाचारी को दिखाता है।

Religiousconversion : खबर इण्डिया के सवाल ? आज सिर्फ सिस्टम से नहीं, बल्कि उन लोगों से भी है
जो अपनी संस्कृति, परंपरा और विरासत होने के बावजूद किसी और के सौपी गई आस्था को अपने “मायबाप” की तरह स्वीकार कर लेते हैं। क्या ये बदलाव श्रद्धा से हुआ है या साज़िश से, यह सवाल अब भी हवा में तैर रहा है। सवाल यह भी क्या धर्मांतरण की नाव में ऐसे भी लोग सवार होने लगे है जिन्हें कभी न डूबने का फक्र है ?

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