IPS Y Puran Kumar: वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की मौत का मामला अब राजनीतिक रूप लेता नजर आ रहा है। इस मामले में अब चंडीगढ़ पुलिस ने हरियाणा पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। जिसमें हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के पुलिस अधीक्षक (SP) नरेंद्र बिजारनिया शामिल है।
दिवंगत आईपीएस अधिकारी श्री वाई पूरन कुमार जी के असामयिक निधन के पश्चात आज उनके आवास पर जाकर शोक प्रकट किया।
परिजनों से मिलकर अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
ईश्वर से प्रार्थना है कि इस कठिन समय में शोकाकुल परिजनों को शक्ति दें।
ॐ शांति। pic.twitter.com/1jstNLqPJC
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) October 9, 2025
सुसाइड नोट बना जांच का आधार
IPS Y Puran Kumar: पुलिस की मानें तो वाई पूरन कुमार द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में कई वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्हीं आरोपों के आधार पर चंडीगढ़ के सेक्टर 11 थाने में FIR दर्ज की गई। यह मामला भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है। वहीं इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि एफआईआर धारा 108 R/W 3(5) (आत्महत्या के लिए प्रेरित करना) और धारा 3(1)(r) के तहत दर्ज की गई है। मामले की जांच गहराई से की जा रही है।
परिवार ने की न्याय की मांग
IPS Y Puran Kumar: वहीं आईएएस अधिकारी की पत्नी अमनीत पी. कुमार ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सीएम से कहा कि जब तक सुसाइड नोट में नामजद लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेंगी। अमनीत ने दो पन्नों की एक लिखित शिकायत भी सीएम को सौंपी, जिसमें आरोपियों को निलंबित करने, गिरफ्तार करने और उनके परिवार को सुरक्षा देने की मांग की गई है।

सुसाइड नोट में हुए ये खुलासे…
IPS Y Puran Kumar: आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने अपने अंतिम पत्र में लिखा कि उन्हें धार्मिक गतिविधियों से वंचित किया गया। निजी कारणों से छुट्टी तक नहीं दी गई, जिससे वे अपने बीमार पिता से अंतिम बार नहीं मिल सके। उन्हें कमतर पदों पर तैनात किया गया और बार-बार बेबुनियाद जांचों का सामना करना पड़ा। उघर, मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक और सामाजिक दबाव भी बढ़ गया है। दलित संगठनों और विपक्षी दलों ने इस मामले में निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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