Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के ग्राम सर्रागोंदी में घटित एक घटना ने पूरे क्षेत्र पर संवेदनाओं का अम्बार टूट गया है। खैरागढ़ मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में एक ऐसा वृक्ष था, जिसे ग्रामीण वर्षों से हनुमानजी का देवस्थल मानते आ रहे थे। गांव के बाहर खड़ा विशाल पीपल का पेड़ न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा था, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी था। हर वर्ष ग्रामीण “घोड़ा देव” की पूजा के बाद इसी वृक्ष की परिक्रमा करते थे। उनका विश्वास था कि इस पीपल में भगवान विष्णु, ब्रह्मा, शिव और देवी लक्ष्मी का वास है।
रात के अंधेरे में आस्था पर चलाई कुल्हाड़ी
Chhattisgarh News: ग्रामीणों के मुताबिक, यह पीपल सरकारी भूमि पर था और किसी ने इसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश पहले भी की थी। 5 अक्टूबर की सुबह आरोपी द्वारा वृक्ष काटने की कोशिश की गई थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण वह रुक गया। बावजूद इसके, रात के सन्नाटे में पेड़ को पूरी तरह काट दिया गया। यह खबर फैलते ही पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने तुरंत खैरागढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने प्रकाश कोसरे और इमरान मेमन नामक दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में एक वृद्धा देवला बाई पटेल का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उनके द्वारा 20 साल पहले लगाए पीपल के पेड़ को इमरान मेमन ने काट दिया था।
इस अमानवीय काम में शामिल इमरान मेमन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है गाँववालों ने मिलकर उस स्थान पर पूजा की, क्षमा मांगी और… pic.twitter.com/iJRGdoug2P
— Prashant Umrao (@ippatel) October 13, 2025
90 वर्षीय देवला बाई की पीड़ा ने सबको झकझोर दिया
Chhattisgarh News: गांव की 90 वर्षीय देवला बाई पटेल का इस वृक्ष से भावनात्मक रिश्ता था। करीब 25 साल पहले उन्होंने अपने ही हाथों से इस पीपल के वृक्ष को रोपा था। रोज सुबह वे लोटे में जल भरकर उसे अपने हाथों से सींचतीं थी। जैसे कोई मां अपनी संतान को प्यार से लालन पालन करती है। जब देवला बाई ने कटे हुए वृक्ष का ठूंठ देखा, तो उनकी आंखों से आंसू के झरने बहने लगे।और उनका रो-रो कर बुरा हाल हो गया। 90 वर्षीय देवला बाई का कहना है कि, “भगवान को कोई काट नहीं सकता… वो फिर लौट आएंगे।” उनके ये शब्द सुनकर गांव के हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।
फिर लिखी गई आस्था की नई कहानी
Chhattisgarh News: घटना के बाद गांव वालों ने उसी स्थान पर फिर से एक नया पीपल का पौधा लगाया है। उनका मानना है कि आस्था कभी समाप्त नहीं होती, वह हर बार नई जड़ें जमाकर फिर से पनपती है। इस घटना ने पूरे समाज को यह संदेश दिया कि पेड़ केवल पर्यावरण का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्था की जड़ भी हैं। सर्रागोंदी का यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि जहां आस्था होती है, वहां जीवन बसता है। 90 वर्षीय देवला बाई की आंखों से गिरी हर बूंद इस बात की गवाही देती है “भगवान को कोई काट नहीं सकता, वो फिर लौट आएंगे…”
पुलिस ने आरोपियों को किया गिरफ्तार
Chhattisgarh News: गांव के लोगों ने जब देखा कि आस्था का प्रतीक पीपल वृक्ष काट दिया गया है, तो उन्होंने तुरंत खैरागढ़ थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की और कार्रवाई करते हुए दो व्यक्तियों प्रकाश कोसरे और इमरान मेमन को हिरासत में लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह वृक्ष न केवल उनकी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा था, बल्कि पूरे गांव की पहचान भी था। ऐसे में इस कृत्य ने लोगों की भावनाओं को आहत किया है।
ये भी पढ़े…Varanasi News: मंडप में टूटी शादी फिर दुल्हन ने किया ऐसा काम कि बाराती रह गए दंग!







